ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
अंग shiv chalisa in hindi गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥